कब तक आस लगाओगी तुम मरे हुए लोगों से
कब तक उम्मीद लगाए बैठोगी मरे हुए लोगों से
जो लज्जाहीन पड़े हैं, वो क्या लाज बचाएंगे
खौफनाक मंजर को वो क्या महसूस कर पाएंगे
दिल दर्द से भर गया, सारी दुनिया शर्मसार हो गई
चारों ओर सन्नाटा छाया, इंसानियत आज मर गई
सब चिल्लानेवाले आज मौन क्यों हैं
सारी दुनिया आज खामोश क्यों है
सुनो, देश के बेटी की रूह की पुकार
कब मिलेगा इंसाफ, कब रुकेगा बलात्कार
उठा शस्त्र, चंडी का रूप तू जीवन की जीविका
बलात्कारी को मिटा दे, निभा नई भूमिका
यह कलयुग है, अभी बचाने कृष्ण नहीं आएंगे
चारों ओर दरिंदे पल-पल तुझे डराएंगे
-नितिन श्रीवास्तव, बुलढाणा.